UPDATE CHANDAULI NEWS: मजलिसों का दौर अब खत्म हो गया। नौवीं मुहर्रम को करबला में ताजिए दफ्न होंगे। पुलिस प्रशासन को दिया गया धन्यवाद।
इमाम हुसैन और करबला के शहीदों का संदेश सिर्फ आंसुओं तक सीमित नहीं रहना चाहिए। मुहर्रम आतंक के खिलाफ़ उठ खड़े होने का नाम है। आतंकवाद के खिलाफ़ जंग में हम सबको एक साथ मिलकर मुकाबलना करना चाहिए।
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आतंकियों को सबक सिखाने का करें काम
अज़ाख़ाना-ए-रज़ा में आखिरी मजलिस खिताब फरमाते हुए मौलाना मोहम्मद मेंहदी ने कहा कि इमाम हुसैन की कुर्बानी ह़क और इस्लाम के लिए तो थी ही साथ ही यजी़द के आतंक को रोकने के लिए भी थी। इसलिए हर मुसलमान पर फर्ज है कि वो आतंकियों को सबक सिखाने का काम करे।
देश की सलामती के लिए मांगी दुआ
मौलाना ने रसूल के खुतबों के जरिए इमाम हुसैन की कुर्बानी की दास्तान पेश करने के साथ साथ सभी धर्मों में सामंजस्य की जमकर वकालत की। मुहर्रम की नौवीं तारीख के मसायबी नौहे पढ़ते हुए मशहूर शायर वकार सुल्तानपुरी ने इमाम की बहन जैनब की कुर्बानी की दास्तान पेश की जिन्होंने करबला के मैदान में इमाम हुसैन के शहीद होने के बाद न सिर्फ रसूल के कुनबे को समेटने का काम किया बल्कि यजीद से जमकर लोहा लिया। मजलिस के आखिरी दिन देश की सलामती और सद्भाव के लिए दुआ भी मांगी गई।
इमाम हुसैन की शहादत की दास्तान बयां
अंजुमन अब्बासिया सिकंदरपुर ने अपने कलाम जरिए इमाम हुसैन की शहादत की दास्तान बयान की। मजलिस के बाद सिंकदरपुर और नगर के तमाम अज़ादारों ने नौहाख्वानी और मातमजनी की।
पुलिस प्रशासन का जताया आभार
अजाखाना ए रज़ा के प्रबंधक डॉक्टर गज़न्फर इमाम में मजलिस-ए-अशरा के सकुशल पूरे होने पर पुलिस और प्रशासन के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया की बुधवार की सुबह अजाखाने के ताजिये और फूल को बिछिया स्थित करबला में दफ्न कर दिया जाएगा। इस दौरान अजाखाना ए रजा में इमाम चौक के चक्कर काटने वाले पैक का जूलूस भी पहुंचा जिसे शरबत पिलाया गया। नगर के अखाड़ों ने भी अजाखाना ए रजा में इकट्ठे होकर इमाम हुसैन की कुर्बानी को याद किया और अपने करतबों के जरिए करबला का मंजर पेश किया।
इस दौरान वसीम कादरी, सरवर भाई, बुद्धुलाल निगम, अजय, मोहम्मद इंसाफ, जैगम इमाम, अली इमाम, अरशद जाफरी, अकबर अली, समीर उर्फ मुन्ना इत्यादि बड़ी तादाद में उपस्थित रहे।